Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay: कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय बायोग्राफी, जीवनी, निबंध,अनमोल विचार, राजनितिक विचार, जयंती, शिक्षा, धर्म, जाति, मृत्यु कब हुई थी,आत्मकथा (Tulsidas Biography uotes, Biography in Hindi) (Jeevan Parichay, Jayanti, Speech, History, University, Quotes, Caste, Religion)
इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे तभी भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ में आ जाएगा और जो भी जानकारी लेने के लिए आए आपको सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिल जाएगा आर्टिकल का पूरा जरूर पढ़ें
कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय हिंदी में
Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay:
जन्म | सन् 1850 ई० |
जन्म स्थान | काशी |
पिता | गोपालचन्द्र उपनाम ‘गिरधर’ |
शिक्षा | घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला का अध्ययन |
भाषा | पद्य में ब्रजभाषा, गद्य में खड़ी बोली, व्याकरण की त्रुटियां |
शैली | (i) परिचयात्मक, (ii) विवेचनात्मक, (iii) भावात्मक |
रचनाएँ | काव्य, नाटक, इतिहास, निबन्ध आदि गद्य विधाओं का जन्म |
अन्य बातें | बहुमुखी प्रतिभा, 5 वर्ष की आयु में दोहा रचा। 18 वर्ष की आयु से साहित्य रचना, पत्रकार तथा संस्थाओं की स्थापना |
मृत्यु | सन 1885 ई० |
कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय: Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay
Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay:आधुनिक युग के प्रवर्तक कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 1850 ईसवी में काशी के एक प्रसिद्ध परिवार में हुआ था| इनके पिता का नाम बाबू गोपाल चंद्र था जो गिरधर दास के नाम से कविताएं लिखते थे| घरेलू परिस्थितियों एवं समस्याओं के कारण भारतेंदु की शिक्षा पूरी नहीं हो पाई| इन्होंने कविवचनसुधा हरिश्चंद्र मैगजीन पत्रिका का सफल संपादन किया| छय रोग से ग्रस्त होने के कारण अल्पायु में ही 1885 ईसवी में इनका स्वर्गवास हो गया
साहित्यिक परिचय
भारतेंदु जी कवि नाटककार इतिहासकार समालोचक पत्र संपादक आदि थे| गध कार के रूप में भारतेंदु जी को हिंदी गद्य का जनक माना जाता है| इन्होंने राष्ट्रीयता समाज सुधार, भक्ति भावना, श्रृंगार को अपना काव्य का विषय बनाया| यह रीति काल एवं आधुनिक काल के कवि माने जाते हैं|
भारतेंदु जी की कृतियां
Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay: : कभी भारतेंदु हरिश्चंद्र का कृतियां जो इस तरह है प्रेममाधुरी, प्रेमप्रसंग, प्रेमसरोवर, प्रेममालिका, प्रेम प्रलाप, तन्मयलीला, दानलीला,आदि
भारतेंदु जी के नाटक और उपन्यास
नाटक:-वैदिक हिंसा, हिंसा ना भवती,सत्य हरिश्चंद्र, नील देवी, अंधेर नगरी,आदि | उपन्यास:-पूर्णप्रकाश ,चंद्रप्रभा ,आदि
भारतेंदु जी की भाषा शैली
Bhartendu Harishchandra Ka Sahityik Parichay: इन्होंने खड़ी बोली को अपना आधार बनाया तथा इन्होंने ब्रजभाषा का ही प्रयोग करते रहे| अपने काव्य में इन्होंने मुक्तक शैली का प्रयोग किया| गद्य में भावनात्मकसैली, व्यंग्यात्मक शैली, का प्रयोग किया|
हिंदी साहित्य में भारतेंदु जी का स्थान
इनकी प्रतिभा के कारण इनके समकालीन युग को हिंदी साहित्य में भारतेंदु युग के नाम से जाना जाता है|
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भारतेंदु हरिश्चंद्र जुड़े (FAQ) हिंदी में
Q :- भारतेंदु जी का जन्म कब हुआ था
Ans :-1850 ईसवी
Q :-भारतेंदु जी का जन्म कहां हुआ था
Ans :-काशी में
Q :-भारतेंदु जी के पिता का क्या नाम था
Ans :-गोपालचन्द्र उपनाम ‘गिरधर’
Q :-भारतेंदु जी की शिक्षा क्या थी
Ans :-घर पर ही हिन्दी, संस्कृत, अंग्रेजी, बंगला का अध्ययन
Q :-भारतेंदु जी की कौन सी भाषा थी
Ans :-पद्य में ब्रजभाषा, गद्य में खड़ी बोली, व्याकरण की त्रुटियां
Q :-भारतेंदु जी की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी थी
Ans :-काव्य, नाटक, इतिहास, निबन्ध आदि गद्य विधाओं का जन्म
Q :-भारतेंदु जी की कब हुई
Ans :-1885
इस आर्टिकल में हमने आपको कभी भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय बहुत ही अच्छी तरह से बता दिए हैं और आप जो भी जानकारी लेने के लिए आए हैं आपको सारी जानकारी मिल गया होगा अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आए तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि वह भी जानकारी ले सके धन्यवाद