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महावीर स्वामी का जीवन परिचय: Mahavir swami ka jivan parichay

Mahavir swami ka jivan parichay

Mahavir swami ka jivan parichay: महावीर स्वामी का जीवन परिचय, बायोग्राफी, जीवनी, निबंध,अनमोल विचार, राजनितिक विचार, जयंती, शिक्षा, धर्म, जाति, मृत्यु कब हुई थी, शायरी, आत्मकथा (Tulsidas Biography uotes, Biography in Hindi) Mahavir swami ka jivan parichay, (Jeevan Parichay, Jayanti, Speech, History, University, Quotes, Caste, Religion)

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Biography of Mahavir Swami: किस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे महावीर स्वामी का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ में आ जाएगा और आप जो भी जानकारी लेने के लिए आए हैं आपको सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिल जाएगा इस आर्टिकल को आप पूरा जरूर पढ़ें

महावीर स्वामी का जीवन परिचय हिंदी में

Mahavir swami ka jivan parichay: जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के नाम है महावीर स्वामी इनके पिता का नाम सिद्धार्थ है और इनके माता का नाम त्रिफला है और इस के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन परिचय

नामसन्मति, वीर, अतिवीर, महावीर।
 पिता का नाम सिद्धार्थ
माता का नामत्रिशला (प्रियकारिणी)
वंश का नाम ज्ञातृ क्षत्रिय वंशीय नाथ
गोत्र का नाम कश्यप
चिह्न सिंह
गर्भ तिथिआषाढ़ शुक्ल षष्ठी (शुक्रवार 17 ई.पू. 599) गर्भकाल 9 माह 7 दिन 12 घंटे।
कुल उम्र योग71 वर्ष 6 माह 23 दिन 12 घंटे।
 उनके समकालिनभगवान बुद्ध
तत्व ज्ञानअनेकांतवाद, स्यादवाद
उपदेश भाषाअर्धमगधी, पाली, प्राकृत
मुख्‍य सिद्धांतपंच महाव्रत
महावीर के भव भव अर्थात पूर्वजन्म जो 34 हैं।
जन्मतिथिचैत्र शुक्ल-13 27 मार्च ई.पू. 598

महावीर स्वामी का जीवन परिचय: Mahavir swami ka jivan parichay

Mahavir swami ka jivan parichay: छठी शताब्दी ईसा पूर्व में भारत सामाजिक एवं धार्मिक जीवन में बहुत प्रकार की बुराइयां उत्पन्न हो गई थी| भारतीय समाज में ऊंच-नीच की भावनाओं का बोलबाला था| समाज वर्णो जातियों और उप जातियों में विभक्त हो गया था| जिससे सामाजिक जीवन में पारीक भेदभाव बढ़ता जा रहा था| समाज में बहुत प्रकार के धार्मिक अंधविश्वास और कुरीतियां प्रचलित थी|

प्रचलित कर्मकांड तथा जातिवाद की जगह के प्रति लोगों के मन में पर्याप्त असंतोष था| जनसाधारण ऐसे वातावरण की घुटन से छुटकारा पाने के लिए बेचैन था| इस समस्या के उस समय महापुरुषों समझा और अपना सुधार आदि लोगों के सामने रखा| महापुरुषों की और जन समुदाय आकर्षित हुआ,

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धार्मिक आंदोलन का रूप ले लिया एक जनमत महावीर स्वामी अपने समय में जैन मत के सर्वश्रेष्ठ प्रचारक और प्रवर्तक थे|महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान इनका जन्म 599 ईसवी पूर्व वैशाली उत्तर बिहार के अंतर्गत कुंडग्राम ग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ था

इनके पिता का नाम सिद्धार्थ तथा माता का नाम त्रिशला देवी थी, वर्धमान बुद्धिमान सदाचारी और विचारशील थे, युवा वर्धमान जीवन, मरण, कर्म, संयम, आदि प्रसंगों पर सदैव सोचते तथा विचार करते रहते थे वर्धमान का मन घर पर नहीं लगता था|

वह बचपन से ही अत्यंत गंभीर थे, नाना प्रकार के सांसारिक सुख होते हुए भी उनकी आत्मा में बेचैनी थी, समाज में प्रचलित ऊंच-नीच की भावना चरित्र पतन तथा उनकी वेदना के मुख्य कारण थे, यज्ञ के नाम पर पशुओं की हत्या करना वर्धमान को बेचैनी की और माता पिता का देहांत हो जाने पर वर्धमान में सांसारिक मोह माया त्याग कर अपने अग्रज नंदी वर्धन की आज्ञा लेकर संयास ले लिया,

इस समय उनकी आयु 30 वर्ष थी वह सत्य और शांति की खोज में निकल पड़े, इसके लिए उन्होंने तपस्या का मार्ग अपनाया| कठोर तपस्या के पश्चात उन्हें ज्ञान हुआ|कठोर तपस्या के कष्टों को सफलतापूर्वक झेलने तथा इंद्रियों को अपने वश में कर लेने के कारण वे महावीर कहलाए,

इन्होंने जिस धर्म का प्रचार किया वह जैन धर्म के नाम से जाना जाता है| जैनियों की मान्यता के अनुसार जैन धर्म के जैन धर्म में महावीर से पूर्व 23 तीर्थकर हुए, महावीर इस धर्म के अंतिम तीर्थकर हुए| तीर्थ का अर्थ है दुख जीतने के पवित्र मार्ग को दिखाने वाला| ज्ञान प्राप्ति के पश्चात महावीर स्वामी 30 वर्ष तक अपने धर्म का प्रचार बड़े उत्साह से करते रहे

वर्ष में 8 महीने घूम घूम कर जनसाधारण के बीच अपने मत का प्रचार किया करते थे| और वर्ष के 4 महीने किसी नगर में व्यतीत करते थे| धीरे धीरे भारत के संपूर्ण राज्यों में जैन धर्म का प्रचार हुए| महावीर स्वामी अपने जीवन के अंतिम तक जन-जन को शिक्षित करते रहे |

जैन धर्म के त्रिरत्न

Mahavir swami ka jivan parichay: सम्यक दर्शन:-(सही बात पर विश्वास करना) सम्यक ज्ञान:– (सही बात को समझना) तथा सम्यक चरित्र:-(उचित कर्म करना)

महावीर स्वामी के उपदेश

Mahavir swami ka jivan parichay: महावीर स्वामी के उपदेशों उनके द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत विधाना के जन मानसा पर बड़ा व्यापक प्रभाव पड़ा| उनके समय में उत्तरी भारत में तो इस धर्म के प्रचार प्रसार हेतु कई केंद्रों की स्थापना भी हो गई थी| सामान्य जनों के अतिरिक्त बिंबिसार तथा उसके पुत्र अजातशत्रु जैसे राजा भी महावीर स्वामी के उपदेशों से प्रभावित हुए,

महावीर स्वामी के उपदेश हमें जीवो पर दया करने की शिक्षा देते हैं| उन्होंने मानव समाज को एक ऐसा मार्ग बताया जो सत्य और अहिंसा पर आधारित है| और जिस पर चल कर मनुष्य आज भी बिना किसी हो कष्ट दिए वह मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है| 72 वर्ष की आयु में महावीर स्वामी पाटलिपुत्र के निकट पावापुरी में जाकर ध्यान में लीन हो गए, और यही उन्हें निर्वाण प्राप्ति हुआ

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महावीर से जुड़े (FAQ) हिंदी में

Q:- महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ था

Ans:- 599 ईसवी पूर्व

Q:-महावीर स्वामी का जन्म कहां हुआ था

Ans:-उत्तर बिहार के अंतर्गत कुंडग्राम ग्राम में एक क्षत्रिय परिवार में हुआ

Q:-महावीर स्वामी के पिता का क्या नाम था

Ans:-सिद्धार्थ

Q:- महावीर स्वामी के माता का क्या नाम था

Ans:- त्रिशला (प्रियकारिणी)

Q:- महावीर स्वामी किस वंश के थे|

Ans:- ज्ञातृ क्षत्रिय वंशीय नाथ

Q:- महावीर स्वामी की मृत्यु कब हुई थी

Ans:– 527 ईसवी पूर्व

निष्कर्ष

Mahavir swami ka jivan parichay: इस आर्टिकल में हम आपको महावीर स्वामी के बारे में सारी जानकारी दे दिए हैं आशा करता हूं कि आप लोगों को अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा अगर समझ में आ गया और अच्छा लगे तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि वह भी इसका जानकारी ले सकें

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