Aryabhatta Biography in Hindi: आर्यभट की जीवनी, जीवन परिचय Aryabhatta biography in hindi आर्यभट प्राचीन भारत के महान गणितज्ञ, ज्योतिषविद एवं खगोलशास्त्री थे. उस समय अनेकों भारतीय विद्वानों, जैसे-: वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त, भास्कराचार्य, कमलाकर, आदि में आर्यभट का नाम भी शामिल हैं.
Aryabhatta Biography in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे आर्यभट्ट का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ में आ जाएगा और आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें
आर्यभट्ट का जीवन परिचय हिंदी में
Aryabhatta Biography in Hindi:
नाम | आर्यभट्ट |
जन्म | 476 ईस्वी, पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, भारत) |
माता | अज्ञात |
पिता | अज्ञात |
रचनाएं | आर्यभटीय, आर्य-सिद्धांत |
खोज कार्य | शून्य, पाई का मान, ग्रहों की गति व ग्रहण, बीजगणित, अनिश्चित समीकरणों के हल, अंकगणित व अन्य |
कार्य क्षेत्र | गणित और खगोल विज्ञान |
काल | गुप्त काल |
उम्र | 74 वर्ष |
मृत्यु | 550 ईस्वी, प्राचीन भारत |
आर्यभट्ट का जीवन परिचय: Aryabhatta Biography in Hindi
Aryabhatta Biography in Hindi: आर्यभट्ट प्राचीन भारत के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री रहे हैं| उनका जन्म 476 ईसवी पूर्व बिहार में हुआ था| उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय से अपना पढ़ाई की| उनके मुख्य कार्यों में से आर्यभट्ट 499 ईसवी पूर्व में लिखा गया था| इसमें बहुत सारे विषयों जैसे खगोल, विज्ञान, त्रिकोणमिति,अंकगणित, बीजगणित, और सरल त्रिकोणमिति का वर्णन है|
उन्होंने गणित और खगोल विज्ञान के अपने सारे अविष्कारों को श्लोकों के रूप में लिखा| इस किताब का अनुवाद लैट्रिन में 13वीं शताब्दी में किया |आर्यभटिया के लेटिन संस्कार की सहायता से यूरोपीय गणितज्ञों ने त्रिभुजों का क्षेत्रफल गोलियां आयतन की गणना के साथ-साथ कैसे वर्गमूल और घनमूल की गणना की जाती है यह सब सीखा,
खगोल विज्ञान के क्षेत्र में सर्वप्रथम आर्यभट्ट ने ही अनुमान लगाया था कि पृथ्वी गोलाकार है ,और यह अपनी ही अक्ष पर घूमती है जिसके फलस्वरूप दिन और रात होते है| उन्होंने यह भी निष्कर्ष निकाला था कि चंद्रमा काला है और वह सूर्य की रोशनी के वजह से चमकता है| उन्होंने सूर्य व चंद्रमा ग्रहण के सिद्धांतों के विषयों में स्पष्टीकरण दिए थे|
उन्होंने बताया था कि ग्रहण की मुख्य वजह पृथ्वी और चंद्रमा द्वारा निर्मित परछाई हैउन्होंने सौर प्रणाली भूकेंद्रीय मॉडल को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया कि पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में है, और उन्होंने गुरुत्वाकर्षण की अवधारणा की नींव भी रखी थी उन्होंने अपने आर्यभट्ट के सिंगरोहा में जो पंचांग बनाने में प्रयोग किया जाता था
खगोलीय घटनाओं के तरीका को प्रतिपादित किया था जो सिद्धांत को प्रतिपादित किए थे| उनका सुझाव आर्यभट्ट ने 1500 वर्ष पूर्व ही दे दिया था| गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट के योगदान अद्वितीय हैं| उन्होंने त्रिकोण और वृत्त के क्षेत्रफल को निकालने के लिए सूत्र का सुझाव दिया जो सही साबित हुए| बुधगुप्त ने उन्हें उनके अवधारणा कार्यों के लिए विश्वविद्यालय का प्रमुख नियुक्त किया था|
पाई की परिणीति दिया
Aryabhatta Biography in Hindi: उन्होंने पाई की परिणीति दिया| उन्होंने पाई का मान जो 62832\20000=3.1416 के बराबर था |निकाला जो बिल्कुल सुन्नीकट था| वह पहले गणितज्ञ थे जिन्होंने जिया तालिका दी जो तूकात वाले एक छंद के रूप में थी|जहां प्रत्येक इकाई 225 मिनट 3 डिग्री 45 मिनट के अंतराम थी बीरधी संग्रह को परिभाषित करने के लिए वरमाला का प्रयोग किया गया|
बीजगणित
12 + 22 + …………. + n2 =[ n ( n+1) ( 2n + 1) ] / 6
13 + 23+ ………….. + n3 = ( 1+2 + ……….. + n )2
अगर हम आर्यभट्ट की तालिका का प्रयोग करें और जिया 30(sin 30 ,)के मान की गणना करें जोकि 1719 \ 3438 =0.5 है,जोकि एकदम सही निकलती है उनके वरमाला कोड को सामान्यता आर्यभट्ट के रूप में जाना जाता है|
आर्यभट्ट का जीवन परिचय: आर्यभटीय भाग
गीतिकापद | [ 13 छंद ] |
गणितपद | [ 33 छंद ] |
कालक्रियापद | [ 25 छंद ] |
गोलपद | [ 50 छंद ]. |
आर्यभट्ट की मुख्य खोज कार्य/रचनाएँ
- पाई का मान
- शून्य की उत्पत्ति
- आर्यभटीय, भाग: गीतिकापद, गणितपद, कलाक्रियापद, गोला पद।
- अनिश्चित समीकरणों के हल
- बीजगणितीय सूत्रों का प्रतिपादन
- चंद्र ग्रहण व सूर्य ग्रहण का ज्ञान
- त्रिकोणमिति व ज्या-कोज्या का प्रतिपादन
- ग्रहों की गति के सिद्धांत
- नक्षत्र काल
- अंकगणित
इसे भी पढ़ें
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय:
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ का जीवन परिचय:
तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध जयंती:
डॉ भीमराव अम्बेडकर का जीवन परिचय
अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का जीवन परिचय
कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र का जीवन परिचय:
जगन्नाथदास ‘रत्नाकर’ का जीवन परिचय:
आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जीवन परिचय:
मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय:
आर्यभट्ट से जुड़े (FAQ) हिंदी में
Q :- आर्यभट्ट का जन्म कब हुआ था
Ans:- 476 ईस्वी, पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, भारत)
Q :-आर्यभट्ट का जन्म कहां हुआ था
Ans:- BIHAR पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना, भारत)
Q :- आर्यभट्ट का मृत्यु कब हुआ था
Ans:- 550 ईस्वी, प्राचीन भारत
Q :- आर्यभट्ट ने शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
Ans:- नालंदा विश्वविद्यालय से
Q :- आर्यभट्ट ने किसकी खोज की थी?
Ans:- शून्य, पाई का मान, ग्रहों की गति व ग्रहण, बीजगणित, अनिश्चित समीकरणों के हल, अंकगणित व अन्य
;