maithili sharan gupt ka jeevan parichay: मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय बायोग्राफी, जीवनी, निबंध,अनमोल विचार, राजनितिक विचार, जयंती, शिक्षा, धर्म, जाति, मृत्यु कब हुई थी, शायरी, आत्मकथा (Tulsidas Biography uotes, Biography in Hindi) maithili sharan gupt ka jeevan parichay (Jeevan Parichay, Jayanti, Speech, History, University, Quotes, Caste, Religion) | maithili sharan gupt ka jeevan parichay in hindi | मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय हिंदी में | maithili sharan gupt ka jeevan parichay aur unki rachnaye
maithili sharan gupt ka jeevan parichay: इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे मैथिली शरण गुप्त का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ में आ जाएगा और आप जो भी जानकारी लेना चाहते हैं और आए हैं आपको सारी जानकारी इस आर्टिकल मिल जाएगा तो इस आर्टिकल को आप पूरा लास्ट तक जरूर पढ़ें
मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय: maithili sharan gupt ka jeevan parichay
Maithilisharan gupt biography:
नाम Name | मैथिलीशरण गुप्त |
जन्म Birth | 1886 ई. |
जन्म स्थान birth place | चिरगांव, झांसी, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु death | 1964 ई. |
मृत्यु स्थान place of death | चिरगांव झांसी |
पिता का नाम father’s name | सेठ रामचरण गुप्ता |
माता का नाम Mother’s name | काशीबाई |
गुरु Teacher | महावीरप्रसाद द्विवेदी |
कृतियां masterpieces | भारत भारती, साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध आदि |
नागरिकता citizenship | भारतीय |
साहित्य में योगदान contribution to literature | अपने काव्य में राष्ट्रीय भावों की गंगा बहाने का श्रेय गुप्ता जी को है। द्विवेदी युग के यह अनमोल रतन रहे हैं। |
मुख्य रचना main composition | साकेत |
पत्नी का नाम wife’s name | ज्ञात नहीं |
भाषा शैली language style | ब्रजभाषा |
पुरस्कार Prize | विशिष्ट सेवा पदक |
पेशा profession | लेखक ,कवि |
मृत्यु स्थान place of death | ___ |
मैथिलीशरण गुप्त का जीवन परिचय हिंदी में
maithili sharan gupt ka jeevan parichay: राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म झांसी जिले के तीर गांव नामक स्थान पर 1886 ईसवी में हुआ था इनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त और माता का नाम काशीबाई थी इनकी प्राथमिक शिक्षा चिरगांव और माध्यमिक शिक्षा झांसी में हुई आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जी को यह अपना गुरु मानते थे उन्हीं से प्रेरणा पाकर इन्होंने खड़ी बोली में भारत की रचना की महात्मा गांधी ने इन्हें राष्ट्रकवि की उपाधि प्रदान की भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया 12 दिसंबर 1964 को मां भारती का यह सच्चा सपूत पंचतत्व में विलीन हो गया
साहित्य परिचय
गुप्तजी ने खडी बोली के स्वरूप के निर्धारण एवं विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया इनकी कविताओं का मुख्य स्वर राष्ट्रप्रेम है गुप्तजी भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधि कवि हैं इन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत का सुंदर वर्णन किया इन्होंने ऐसे समय में लोगों में राष्ट्रीय चेतना का स्वरूप दिया जब हमारे देश परतंत्रका की जंजीरों में जकड़ा हुआ था
मैथिलीशरण गुप्त की कृतियां
संकेत, यशोधरा, द्वापर, भारत-भारती ,किसान आदि
मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शैली
खड़ी बोली को साहित्यिक रूप देने में गुप्त जी का महत्वपूर्ण योगदान है प्रबंध शैली के साथ-साथ मुक्तक शैली में अनेक सफल रचनाएं की हैं
हिंदी साहित्य में मैथिलीशरण गुप्त का स्थान
मैथिलीशरण गुप्त जी की राष्ट्रीयता की भावना से युक्त रचनाओं के कारण इनका विशेष स्थान है इन्हे युग प्रतिनिधि कवि के रूप में स्वीकार किया गया
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मैथिलीशरण गुप्त से जुड़े (FAQ) हिंदी में
Q :- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कब हुआ था
Ans :- 1886 ई.
Q :- मैथिलीशरण गुप्त का जन्म कहां हुआ था
Ans :- चिरगांव, झांसी, उत्तर प्रदेश
Q :- मैथिलीशरण गुप्त जी के पिता का नाम क्या था
Ans :- सेठ रामचरण गुप्ता
Q :-मैथिलीशरण गुप्त जी के माता का नाम क्या था
Ans :- काशीबाई
Q :- मैथिलीशरण गुप्त की कौन-कौन सी कृतियां है
Ans :- भारत भारती, साकेत, यशोधरा, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध आदि
Q :- मैथिलीशरण गुप्त की भाषा शैली क्या है
Ans :- ब्रजभाषा
Q:-मैथिलीशरण गुप्त की मृत्यु कब हुई थी
Ans:-1964
Q:-मैथिलीशरण गुप्त जी के गुरु कौन थे
Ans:-महावीरप्रसाद द्विवेदी