Mirabai ka Jivan Parichay

मीराबाई का जीवन परिचय: Biography of Mirabai, Mirabai ka Jivan Parichay

Mirabai ka Jivan Parichay: इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि मीराबाई का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ आ जाएगा और इसके बारे में जितनी भी जानकारी है आपको सारी जानकारी इस आर्टिकल में मिल जाएगा तो इस आर्टिकल को आप पूरा जरूर पढ़ें

मीराबाई का जीवन परिचय: Mirabai ka Jivan Parichay

Mirabai ka Jivan Parichay: श्री कृष्ण की प्रेम दीवानी मीरा बाई का जन्म 1498 में राजस्थान के चौकड़ी गांव में हुआ था इनके पिता रतनसिंह तथा माता कुसुम कुंवर थी बचपन में ही मां का देहांत हो जाने के कारण यह अपने दादा के पास रहे उदयपुर के राजा सांग के पुत्र भोजराज के साथ इसका विवाह हुआ विवाह के 7 वर्ष बाद ही यह विधवा हो गई यह बचपन से ही कृष्ण भक्त थी उन्हें अपना पति मानते हुए लोक लाज खोकर कृष्ण के प्रेम में ली थी जो उदयपुर की राज मर्यादा के प्रतिकूल था| जिसके वजह से इसके परिवार के लोग भी इससे रुष्ट रहते थ | इनका भूलोक त्याग 1546 द्वारिका में हुई

Biography of Mirabai (मीराबाई का जीवन परिचय)

Mirabai ka Jivan Parichay:

जन्मसन् 1498 ई०
मृत्युसन् 1546 ई०
जन्म स्थानचौकड़ी (मेवाड़), राजस्थान
पतिभोजराज
पित्तारत्नसिंह
भाषाब्रजभाषा

मीराबाई का साहित्य परिचय

Mirabai ka Jivan Parichay: जिन पदों को मीरा कृष्ण भक्ति में लीन होकर गाया करती थी वहीं उनकी रचनाएं हैं इनके गीतों में इनकी वेदना पूर्ण अभिव्यक्ति मिलती है कृष्ण के प्रति प्रेम भाव की व्यंजना ही इनकी कार्य का उद्देश्य रहा | श्रृंगार एवं शांत रस की गंगा यमुना एक साथ इसके दृष्टिगोचर होती है

मीराबाई का कृतियां

Mirabai ka Jivan Parichay: मीराबाई का जो बहुत सारे कृतियां है जो कि सभी का नाम दिया गया है नरसी जी का मायरा, गीत गोविंद का टीका, राग गोविंद, मीराबाई की मल्हार, राग बिहाग, एवं फुटकर पद|

मीराबाई का भाषा शैली

Mirabai ka Jivan Parichay: इनकी भाषा राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा थी इनकी काव्य की शैली गीत शैली थी

हिंदी साहित्य में मीराबाई का स्थान

Mirabai ka Jivan Parichay: कृष्ण भक्ति कवियों में मीरा का स्थान भावना की तरंगों के कारण विशिष्ट है| हिंदी साहित्य में वह प्रेमदीप की मीरा के नाम से आज भी विस्तृत है

मीराबाई की पदावली में प्रयुक्त कठिन शब्द अर्थ (शब्दार्थ)

क्रमशब्दअर्थ
1.मकराकृतमछली की आकृति के।
2.अरुणलाल।
3.राजतश्तेभित।
4.नूपुरघुघरू।
5.रसालरसभरे, कानों को मधुर प्रतीत होने वाला।
6.बछलवत्सल।
7.अमोलकअमूल्य।
8.सेवटियानाविक।
9.भवसागरसंसार-सागर।
10.हरख-हरखप्रसन्न होकर।
11.बजन्ता ढोलढोल बजाकर, प्रकट रूप में घोषणा करके।
12.मुँहधोमहँगा।
13.मुँहधोसस्ता।
14.तराजू तोलनाप-तोलकर।
15.अमोलक मोलअत्यधिक मूल्य चुकाकर।
16.कौलवचन, प्रतिज्ञा, प्रण, करार।
17.काल-ब्यालमृत्यु रूपी सर्प।
18.बाँचीबची, बच गयी।
19.खारोसारहीन।
20.काँचीकच्ची।
21.कानिमर्यादा।
22.आणंदआनन्द।
23.मोईमुझे ही।

मीराबाई की रचनाएँ कौन-कौन है

(1) नारसी जी का मायरा
(2) राग गोविन्द
(3) गीत गोविन्द की टीका
(4) राग-सोरठ के पद
(5) मीराबाई की मालार
(6) गरबा गीत
(7) राग विहाग तथा फुटकर पद।

अगर आपको मीराबाई का जीवन परिचय बहुत अच्छी तरह से समझ में आ गया तो और आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ आ गया होगा और जो भी आप जानकारी चाहिए होगी आपको सभी जानकारी मिल गई होगी अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आए तो आप अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि वह भी जानकारी ले सकें

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मेरा भाई से जुड़े (FAQ) हिंदी में

Q :- मीरा बाई के गुरु कौन थे?

Ans :- रविदास जी उनके गुरु थे

Q :- मीरा किसे अपना पति मानती थी और क्यों?

Ans :- कृष्ण को अपना पति मानती थी

Q :- मीरा बाई की प्रसिद्द रचना कौनसी है?

Ans :- नरसी जी रो मायरो’ है।

Q :- मीरा के पति कोन है?

Ans :- कुंवर भोजराज है।

Q :- मीरा के पिता कौन हैं?

Ans :- रतनसिंह था।

Q :- मीराबाई के बचपन का नाम क्या है?

Ans :- बचपन का नाम पेमल था।

Q :- मीरा का जन्म कब हुआ?

Ans :- 1498 ई. (विक्रम संवत् 1555) के आसपास मेड़ता में माना जाता है।

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