gautam buddha jeevan parichay

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय: gautam buddha jeevan parichay

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gautam buddha jeevan parichay: आर्टिकल में हम आपको बताएंगे गौतम बुध का जीवन परिचय जो कि आपको बहुत ही आसान भाषा में समझ में आ जाएगा और आप जो भी जानकारी लेने के लिए आए आपको सारी जानकारी मिल जाएगा इस आर्टिकल को आप पूरा जरूर पढ़ें

Table Of Content

बौद्ध धर्म के संस्थापक

gautam buddha jeevan parichay: गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे |और यह अपने विचारों से दुनिया को नया रास्ता दिखाने वाले महान दार्शनिक, वैज्ञानिक, धर्मगुरु, एक महान समाज सुधारक थे| बुद्ध की शादी यशोधरा के साथ हुई थी, इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था, जिसका नाम राहुल रखा गया था|

लेकिन विवाह के कुछ समय बाद ही गौतम बुद्ध ने अपनी पत्नी और बच्चे को त्याग दिया| वे संसार को जन्म मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश वह सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात के समय अपने राजमहल से निकल गए और वह जंगल की ओर निकल पड़े बहुत सालों की कठोर साधना के बाद बोधगया में वे पीपल के वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गए|

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय: gautam buddha jeevan parichay

gautam buddha jeevan parichay:

जीवन परिचय
वास्तविक नामसिद्धार्थ वशिष्ठ
उपनामगौतम बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम, शाक्यामुनि, बुद्धा
व्यवसायबौद्ध धर्म के संस्थापक
जन्मतिथि563 ई०
जन्मस्थानलुंबिनी, नेपाल
मृत्यु तिथि483 ई०
मृत्यु स्थलकुशीनगर, भारत
आयु (मृत्यु के समय)80 वर्ष
गृहनगरलुंबिनी, नेपाल
धर्मबौद्ध धर्म
जातिक्षत्रिय (शाक्य)
परिवारपिता – शुद्धोधन
माता – मायादेवी, महाप्रजावती उर्फ़ गौतमी (सौतेली माँ)

गौतम बुद्ध का जीवन परिचय हिन्दी मे | Gautam Buddh ka Jivan Parichay Hindi mein

gautam buddha jeevan parichay: गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में कपिलवस्तु के निकट लमही नेपाल में हुआ था| कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी के अपने देवदा जाते हुए रास्ते में प्रसव पीड़ा हुई जिसमें एक बालक का जन्म हुआ था| गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण वे गौतम बुद्ध कहलाए

इनके पिता शुद्धोधन एक राजा थे| इनकी माता माया देवी कोली वंश के महिला थी| लेकिन बालक के जन्म के 7 दिन बाद ही माया देवी की मृत्यु हो गई थी| जिसके बाद इसका लालन-पालन इनकी मौसी और राजा की दूसरी पत्नी रानी गौतमी ने की और इस बालक का नाम सिद्धार्थ रख दिया गया|

इस नाम का मतलब होता है जो सिद्ध प्राप्ति के लिए जन्मा हो लेकिन इनको बाद में सिद्धि मिली थी| सिद्धार्थ बचपन से ही बहुत दयालु और करुणा वाले व्यक्ति थे| सिद्धार्थ बचपन में जब खेल खेलते थे तब वे स्वयं हार जाते थे क्योंकि वे दूसरों को दुख नहीं देना चाहते थे|

सिद्धार्थ का एक चचेरा भाई भी था जिसका नाम देवदत्त है| देवदत्त ने अपने धनुष से एक वन चलाया था जिससे एक पक्षी घायल हो गया और बाद में सिद्धार्थ ने घायल हंस की रक्षा की थी

गौतम बुद्ध की शिक्षा | Gautam Buddh ka Shiksha

gautam buddha jeevan parichay: सिद्धार्थ ने अपनी शिक्षा गुरु विश्वामित्र से पूरी की| उन्होंने वेद और उपनिषद के साथ-साथ युद्ध विधा की भी शिक्षा प्राप्ति की| सिद्धार्थ को बचपन से घुड़सवारी धनुष बाण और रथ हांकने वाला एक सारथी में कोई दूसरा मुकाबला नहीं कर सकता था|

गौतम बुद्ध का विवाह | Gautam Buddh ka bivah

gautam buddha jeevan parichay: सिद्धार्थ की शादी 16 साल की आयु में राजकुमारी यशोधरा के साथ सादी हुई थी| और इस शादी से एक बालक का जन्म हुआ था| जिसका नाम राहुल रखा गया लेकिन उनका मन घर और मोह माया की दुनिया में नहीं लगा और वे घर परिवार को त्याग कर जंगल में चले गए पिता और राजा शुद्धोधन ने सिद्धार्थ के लिए भोग विलास का भरपूर इंतजाम भी किया था पिता ने अपने बेटे के लिए तीन महल भी बनाए थे जिसमें नाच गान और ऐसो आराम की सारी व्यवस्था मौजूद थी,

गौतम बुद्ध का तपस्या | Gautam Buddh ka Tapasya

gautam buddha jeevan parichay: लेकिन यह चीजें सिद्धार्थ को अपनी ओर नहीं जीत सकी| सिद्धार्थ ने अपनी सुंदर पत्नी और सुंदर बालक को छोड़कर वन की ओर चले जाने का निश्चय किया| सिद्धार्थ ने जाकर कठोर से कठोर तपस्या करना शुरू कर दिया पहले तो सिद्धार्थ ने शुरू में तिल चावल खाकर तपस्या शुरू किया लेकिन बाद में बिना खाकर तपस्या करना शुरू कर दिया| कठोर तपस्या करने के कारण उनका शरीर सूख गया था|

gautam buddha jeevan parichay: तपस्या करते करते 6 साल हो गए थे| एक दिन सिद्धार्थ वन में तपस्या कर रहे थे कि अचानक कुछ महिलाएं किसी नगर से लौट रही थी वही रास्ते में तपस्या कर रहे थे महिलाएं कुछ गीत गा रही थी| उनका एक गीत सिद्धार्थ के कानों में पड़ा वह गीत था इस गीत का सार यह था कि बीना का तार इतना मत करो कि कोई ध्वनि ही ना आए, और इतना ढील भी ना छोड़ो की कोई सूर ना आए| यह गीत का गौतम बुध पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा उसके बाद वे कठोर तपस्या का त्याग करके मध्यम मार्ग अपनाया

गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति | Gautam Buddh ko Gyan ki Prapti

gautam buddha jeevan parichay: वैशाखी पूर्णिमा के दिन सिद्धार्थ वट वृक्ष के नीचे ध्यान पूर्वक अपने ध्यान में बैठे थे, गांव की एक महिला सुजाता नाम की थी, उसका एक पुत्र था, उस महिला ने अपने पुत्र के लिए उस वृक्ष से एक मन्नत मांगी थी, जो मन्नत उसने मांगी थी वह उसे मिल गई थी ,और इसी खुशी में वह महिला एक सोने के ताल में गाय के दूध की खीर भरकर उस बट वृक्ष के पास पहुंची थी |

उस महिला ने बड़े आराम से सिद्धार्थ को खीर भेंट में दिया और कहा जैसे मेरी मनोकामनाएं पूरी हुई उसी तरह आपकी भी हो ,उसी रात को ध्यान लगाने पर सिद्धार्थ की एक साधना सफल हो गई थी ,बौद्ध हुआ तभी से सिद्धार्थ बौद्ध कहलाया जिसे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को बौद्ध मिला था वह वृक्ष बोधिवृक्ष कहलाए |और गया का सीमावर्ती जगह बोधगया कहलाया|

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको gautam buddha jeevan parichay बहुत ही आसान भाषा में बता दिए हैं अगर आपको गौतम बुद्ध का बारे में सारी जानकारी मिल गया हो तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं ताकि वह भी जानकारी ले सकें

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गौतम बुद्ध से जुड़े (FAQ) हिंदी में

Q :-गौतम बुद्ध का जन्म कब हुआ था

Ans:-गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसवी पूर्व में हुआ था

Q :-गौतम बुद्ध का जन्म कहां हुआ था

Ans:- लुंबिनी, नेपाल

Q :-गौतम बुद्ध के पिता का क्या नाम था

Ans:-शुद्धोधन

Q :-गौतम बुद्ध के माता का नाम क्या था

Ans:- मायादेवी, महाप्रजावती उर्फ़ गौतमी (सौतेली माँ)

Q :-गौतम बुद्ध के बेटा का क्या नाम था

Ans:-राहुल

Q :-गौतम बुद्ध की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई थी की मृत्यु कब हुई थी

Ans:-483 ई०

Q :-गौतम बुद्ध की मृत्यु कितने वर्ष की आयु में हुई थी

Ans:-80 वर्ष

Q :-गौतम बुद्ध जाति के थे

Ans:-क्षत्रिय (शाक्य)

Q :-गौतम बुद्ध का गृहनगर कहा था

Ans:-लुंबिनी, नेपाल

Q:-गौतम बुद्ध का मृत्यु स्थान कहां था

Ans:कुशीनगर, भारत

Q:-गौतम बुद्ध किस धर्म के संस्थापक थे

Ans:-बौद्ध धर्म के संस्थापक

Q:-गौतम बुद्ध का उपनाम क्या क्या था

Ans:- गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ गौतम, शाक्यामुनि, बुद्ध

1 thought on “गौतम बुद्ध का जीवन परिचय: gautam buddha jeevan parichay”

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